Saturday, September 03, 2011

An eulogy

तुम चाय की इलाइची हो,
तुम स्कोत्च एक विलायती हो ,
तुम ग़ज़ल एक दुमदार हो
तुम साथी एक यादगार हो !

संग तुम्हारे पीना सीखे ,
पैमाने से गहरा उतरना सीखे,
खूबसूरती से जीना सीखे,
दरिया में बहना सीखे !
और क्या,
यह कविता भी तुम ही से लिखना सीखे !

हम साथ तुम्हारे चले
तो ज़िन्दगी में मुकाम आये
तुम साथ हमारे रहे ,
तो मुकामों में ज़िन्दगी आई !

गुरु, तुम एक कमाल हो ,
गुरु, तुम एक मिसाल हो ,
गुरु, तुम एक धमाल हो ,
अभी तो,
मेरी ज़िन्दगी का गुलाल हो !

राहें तुम्हारी आबाद रहे,
उन राहों में हम रहे,
साथ हमारा हर दम रहे,
साल ऐसे न कम रहे !

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Anuj Lakhotia