Wednesday, November 26, 2008

शिकायत

रूठ कर तुझसे मैं रहा नहीं पाता
यादें वो में मिटा नहीं पाता
लम्हे वो में भूला नहीं पाता
शिकायत हैं मुझे खुदा से
मिले तुझसे बगैर क्या मैं जी नहीं पाता !

देखकर तुझे लगा तुम चाहने के लिए हो
चाहकर तुम्हे लगा आजमाने के लिए हो
आजमां कर लगा अपना बनाने के लिए हो
शिकायत हैं हमें इस दिल से
हर आरजू पूरी होने पर नयी आरजू क्यूँ बन जाती !

एक हंसी से तुम्हारी, मुश्किलें चली हैं जाती
खुशबु से तुम्हारी बागों में बहार हैं आती
देख तुझे तो सागर में हलचल मच जाती
शिकायत करता हैं चाँद तुम्हारी हमसे
चांदनी भी तुम्हारे आगे यूँ ही फीकी पड़ जाती !

तुझे चाहने वाले हज़ार बनाएं
हंसी पर मर मिटने वाले तमाम बनाएं
हमारे जैसे भी बहुत कदरदान बनाएं
शिकायत हैं हमें इस जहां से
हसीन तेर जैसे ही सिर्फ क्यूँ दो चार बनाए !

शिकायत हैं धडकनों से अभी भी धड़क हैं जाती
शिकायत हैं साँसों से अभी भी चली हैं जाती
शिकायत हैं जिंदगी से, थम क्यूँ नहीं जाती
शिकायत हैं इस शिकायत से
शिकयत करके भी, तेरी याद नहीं जाती !

अनुज लखोटिया

This is the second time I wrote few lines in Hindi...absolutely enjoyed it !!

1 comment:

Spiritual Spice said...

Anuj U wrote these lines... unbelievable...m speechless, no words are made to describe d true feelings of the heart, but wot u rote come rely close