Saturday, April 17, 2010

Twenty Five and Something

ला ला ला ला , ला ला
पलकों पे
सपने ले
घर से जो चले हम
हुई एक
कहानी शुरू !

हँसते खिलते
बड़ते हम
बनते सजते
महफिलों के रंग
दोस्तों से मिलें ऐसे हम
बूंदों से बूँदें मिलकर
जैसे बारिश बनती बढती रहे !

मेहनत में हो कर गुम
पाते खुद को हम
मंजिल जाने बगैर
पानी से बहें हम
राहे यूँ ही बनती बदलती रहे !

हारें भी
जीतें भी
गिरते संभलते हम
रोयें भी
नाचें भी
खुल कर जीयें हम
सूरज की किरणों से
हर सवेरो को हम
यूँही चमकते रहे !

प्यार भी करते हम
जचें भी कुछ को हम
सितम भी सहे हम
पर साथी बने ही कम
बच्चे की तरह दिल को
बुद्धू बना कर हम
यूँही मुहब्बत लुटाते रहे !

गीतों में
यादें भर
सरगम जो गाये हम
कहानी यूँही बनती बढती रहे !

हमारी अधूरी कहानी , हा हा हा हा, हा हा

Wanted to hum something. Conscious Inspiration from Lucky Ali and Silkroute. Will be happy for suggestions to make it more hummable. Happy with this though :)

Cheerio,
Anuj Lakhotia

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